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बकरियों में होने वाले रोग/बीमारियां और उनके उपचार/इलाज – NaviSindhu

बकरियों में होने वाले रोग

बकरी पालन का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए बकरियों में होने वाले रोग का ख्याल रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। मैंने अपने बकरी पालन के अनुभव के दौरान कई बीमारियों का सामना किया है और उनसे निपटने के तरीके सीखे हैं। इस लेख में, मैं बकरियों में होने वाले 15 सबसे आम रोगों के बारे में बताऊंगा, उनके लक्षणों, उपचार और बीमारी के बारे में जानकारी के साथ।

1. खुरपका-मुंहपका (Foot-and-Mouth Disease)

FMD, खुरहा रोग

खुरपका-मुंहपका एक अत्यंत संक्रामक वायरस जनित बीमारी है जो बकरियों के मुंह, खुर और थनों को प्रभावित करती है। यह रोग अक्सर बकरियों के खाने-पीने की क्षमता को प्रभावित करता है जिससे उनके वजन और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

1. खुरपका-मुंहपका के लक्षण: 

बकरियों के मुंह, खुर और थनों में छाले और घाव हो जाते हैं। उन्हें चलने-फिरने में कठिनाई होती है और वे भोजन छोड़ सकती हैं।

2. खुरपका-मुंहपका के उपचार: 

संक्रमित बकरियों को तुरंत अलग कर दें और उनके घावों को साफ करके एंटीसेप्टिक लगाएँ। इस रोग का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक्स जैसे पेनिसिलिन या स्ट्रेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन दिया जाता है और घावों को एंटीसेप्टिक घोल से साफ किया जाता है। घरेलू उपायों में इस रोग के लिए नीम के पत्तों का पेस्ट घावों पर लगाया जाता है। 

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2. पेस्टे डेस पेटिट्स (Peste des Petits Ruminants – PPR)

फड़किया रोग, छोटी पशुओं की प्लेग

यह एक वायरल रोग है जो बकरियों और अन्य छोटे जुगाली करने वाले जानवरों को प्रभावित करता है। इसे में दूसरे नामो में फड़कीया या पीपीआर भी कहते है। यह रोग अक्सर बकरियों के फेफड़ों, आंतों और संपूर्ण शरीर को प्रभावित करता है।

1. पेस्टे डेस पेटिट्स रोग के लक्षण: 

तेज बुखार, आंखों और नाक से पानी बहना, मुंह में छाले, दस्त और वजन कम होना।

2. पेस्टे डेस पेटिट्स रोग के उपचार: 

बकरियों को अलग करें और उन्हें आरामदायक और साफ-सुथरा वातावरण प्रदान करें। पशु चिकित्सक की सलाह पर एंटीबायोटिक्स और सपोर्टिव थेरैपी का उपयोग करें।

3. अंतड़ियों का कीड़ा (Coccidiosis)

कोक्सी, अंतड़ियों का परजीवी संक्रमण

अंतड़ियों का कीड़ा बकरियों की आंतों में होने वाला एक सामान्य संक्रमण है, जो ज्यादातर गंदगी और अस्वच्छ पानी के सेवन से होता है। यह रोग आमतौर पर युवा बकरियों को प्रभावित करता है।

लक्षण: दस्त, वजन कम होना, भूख में कमी, और कमजोरी।

उपचार: इस बीमारी के उपचार में एंटीकोक्सिडियल ड्रग्स का उपयोग किया जाता है और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।

4. वायुमार्ग संक्रमण (Respiratory Infections)

श्वसन संक्रमण, ब्रोन्कोपल्मोनरी संक्रमण रोग 

वायुमार्ग संक्रमण बकरियों के सांस लेने वाले तंत्र को प्रभावित करता है। यह संक्रमण कई कारणों से हो सकता है, जैसे ठंडा मौसम, गंदगी, या वायुप्रदूषण।

लक्षण: खाँसी, सांस लेने में कठिनाई, नाक से स्राव, और बुखार।

उपचार: बकरियों को गर्म और सूखे वातावरण में रखें और पशु चिकित्सक की सलाह लेकर एंटीबायोटिक्स का उपयोग करें।

5. जूँ और पिस्सू (Lice and Mites)

बाहरी परजीवी, त्वचा परजीवी

जूँ और पिस्सू बकरियों की त्वचा पर परजीवी होते हैं जो उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। यह परजीवी उनके शरीर पर खुजली, घाव और बालों के झड़ने का कारण बन सकते हैं।

लक्षण: त्वचा पर खुजली, बाल झड़ना, और त्वचा पर घाव।

उपचार: संक्रमित बकरियों को अलग कर दें और एंटीपरासाइटिक दवाओं का उपयोग करें। उनके शरीर और रहने की जगह की नियमित सफाई करें।

6. निमोनिया (Pneumonia)

फेफड़ों का संक्रमण, निमोनाइटिस

निमोनिया बकरियों के फेफड़ों को प्रभावित करने वाला एक सामान्य रोग है। यह रोग ठंडे मौसम, गंदगी, या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण हो सकता है।

लक्षण: तेज बुखार, खाँसी, सांस लेने में कठिनाई, और कमजोरी।

उपचार: बकरियों को गर्म रखें, उन्हें हवादार और साफ वातावरण में रखें, और पशु चिकित्सक की सलाह पर एंटीबायोटिक्स का उपयोग करें।

7. गुल्म/गुर्दे की बीमारी (Bloat)

पेट फूलना, रुमिनल टाइम्पेनी: 

गुल्म बकरियों के पेट में गैस भर जाने से होने वाली स्थिति है जो उनके जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है। यह अक्सर ज्यादा चरने या खराब भोजन के कारण होता है।

लक्षण: पेट फूलना, बेचैनी, भूख में कमी, और उल्टी।

उपचार: बकरियों को तुरंत चलाने-फिराने से और पेट की मालिश करने से राहत मिल सकती है। पशु चिकित्सक की सलाह पर उचित दवा दें।

8. पैरा-ट्युबरक्युलोसिस (Johne’s Disease)

खुर सड़ना, खुर गलना, पैर का सड़ना: 

पैरा-ट्युबरक्युलोसिस एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो बकरियों की आंतों को प्रभावित करता है। यह रोग बकरियों के पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और धीरे-धीरे वजन घटाने का कारण बनता है।

लक्षण: लगातार दस्त, वजन में कमी, और भूख में कमी।

उपचार: इस बीमारी का कोई प्रभावी इलाज नहीं है, इसलिए संक्रमित बकरियों को अलग कर दें और अच्छे प्रबंधन का ध्यान रखें।

9. विषाणुजनित दस्त (Viral Diarrhea)

विषाणुजनित दस्त एक वायरल रोग है जो बकरियों की आंतों को प्रभावित करता है। यह रोग अक्सर दूषित पानी या भोजन से फैलता है।

लक्षण: इसके लक्षणों में दस्त, उल्टी, और कमजोरी शामिल है। इसका उपचार एंटीवायरल दवाओं और पुनर्जलीकरण से किया जाता है।

उपचार: संक्रमित बकरियों को अलग करें, उन्हें पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स दें, और पशु चिकित्सक की सलाह पर एंटीवायरल दवाओं का उपयोग करें।

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10. खटमल (Ticks)

टिक संक्रमण, बकरियों का खून चूसने वाला परजीवी: 

खटमल बकरियों की त्वचा पर लगने वाले परजीवी होते हैं जो खून चूसते हैं और बकरियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। यह परजीवी कई प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

लक्षण: इसके लक्षणों में खुजली, बाल झड़ना, त्वचा पर घाव और खून की कमी शामिल हैं। 

उपचार: बकरियों को एंटी-टिक शैंपू से नहलाएं और उनके रहने की जगह की सफाई करें। एंटीपैरासाइटिक दवाओं का उपयोग भी करें।

11. थनैला (Mastitis)

थन का संक्रमण, दूध ग्रंथि सूजन:

थनैला बकरियों के थनों में होने वाली सूजन और संक्रमण है। यह रोग दूध देने वाली बकरियों में अधिक सामान्य है और उनके दूध उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।

लक्षण: इसके लक्षणों में थन की सूजन, दर्द, और दूध में खून या पीप का मिलना शामिल है। 

उपचार: थनों को गर्म पानी से साफ करें और पशु चिकित्सक की सलाह पर एंटीबायोटिक्स का उपयोग करें।

12. पैर का सड़न (Foot Rot)

पैर का सड़न एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो बकरियों के खुरों को प्रभावित करता है। यह रोग गंदगी और नमी के कारण होता है।

लक्षण: खुर में घाव, चलने में कठिनाई, और दुर्गंध।

उपचार: खुरों को साफ करें और एंटीसेप्टिक दवाओं का उपयोग करें। पशु चिकित्सक की सलाह पर उचित दवा दें।

13. गुलमेरी (Enterotoxemia)

पाचन तंत्र का विषाक्तता, क्लोस्ट्रिडियम संक्रमण:

गुलमेरी एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो बकरियों की आंतों को प्रभावित करता है। यह रोग अधिक भोजन करने या खराब भोजन के कारण होता है।

लक्षण: दस्त, पेट में दर्द, और अचानक मृत्यु।

उपचार: टीकाकरण करें और संतुलित आहार दें। संक्रमण के दौरान पशु चिकित्सक की सलाह पर एंटीटॉक्सिन दें।

14. कोलिबासिलोसिस (Colibacillosis)

पेट का संक्रमण, जठरांत्रशोथ:

कोलिबासिलोसिस एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो बकरियों की आंतों को प्रभावित करता है। यह रोग दूषित पानी या भोजन के कारण होता है।

लक्षण: दस्त, डिहाइड्रेशन, और कमजोरी।

उपचार: बकरियों को साफ पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स दें और पशु चिकित्सक की सलाह पर एंटीबायोटिक्स का उपयोग करें।

15. त्वचा रोग (Dermatophilosis)

त्वचाशोथ, एक्जिमा: 

त्वचा रोग बकरियों की त्वचा पर होने वाला एक संक्रमण है जो बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रोग अक्सर गंदगी और नमी के कारण होता है।

लक्षण: त्वचा पर खुजली, बाल झड़ना, और घाव।

उपचार: संक्रमित बकरियों को अलग करें और एंटीबायोटिक्स का उपयोग करें। साफ-सफाई का ध्यान रखें।

इस ब्लॉगपोस्ट को लिखते समय मैंने गूगल पर लोगो के कुछ क्वेरिस को देखा, जिसे देखने के बाद मुझे लगा कि इन सभी सवालों का जवाब भी मुझे अपने इस ब्लॉगपोस्ट में देना चाहिए। 

बकरियों में होने वाले रोग

16. बकरी के मुंह से पानी आना

बकरी के मुंह से पानी आना या लार टपकना एक आम समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि मुंह में चोट, दांतों की समस्या, या किसी प्रकार का संक्रमण। यदि बकरी के मुंह से लगातार पानी टपक रहा है, तो उसे तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इसके इलाज में सामान्यत: मुंह की सफाई, उचित दवा, और जरूरत पड़ने पर एंटीबायोटिक का उपयोग किया जाता है।

17. बकरी चारा नहीं खा रही है क्या करे?

यदि बकरी चारा नहीं खा रही है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि बकरी का बीमार होना, पेट में गैस होना, या चारे में कोई समस्या होना। सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि चारा ताजा और साफ है। बकरी के स्वास्थ्य की जांच के लिए पशु चिकित्सक से सलाह लें। इसके अलावा, बकरी को आरामदायक और तनावमुक्त वातावरण प्रदान करें।

18. बकरी कुछ खा या पी ना रही हो तो क्या करे?

अगर बकरी कुछ खा या पी नहीं रही है, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे कि बीमारी, पेट में सूजन, या किसी प्रकार का संक्रमण। बकरी को हाइड्रेट रखने के लिए उसे इलेक्ट्रोलाइट्स या ओआरएस घोल पिलाएं। पशु चिकित्सक से परामर्श करके उचित उपचार प्राप्त करें। इसके अलावा, बकरी को ताजे और हरे चारे का सेवन कराएं जिससे उसकी भूख बढ़े।

19. बकरी के पेट के गैस बनने पर क्या करे?

बकरी के पेट में गैस बनने की समस्या को गुल्म या ब्‍लोट कहा जाता है। यह एक पाचन संबंधी समस्या है जिसमें बकरी का पेट फूल जाता है और वह बेचैन हो जाती है। इस स्थिति में बकरी को तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इसके उपचार के लिए एंटी-ब्‍लोट दवाओं का उपयोग किया जाता है और पेट की मालिश भी की जाती है। बकरी को ज्यादा समय तक खड़े रहने दें और खाने में फाइबर युक्त आहार दें।

20. बकरी के सर्दी खासी का इलाज

सर्दी और खांसी बकरियों में एक आम समस्या हो सकती है, खासकर ठंडे मौसम में। इसके लक्षणों में नाक से स्राव, खांसी, और सांस लेने में कठिनाई शामिल है। बकरी को गर्म और सूखा वातावरण प्रदान करें। इसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, बकरी को विटामिन सी युक्त आहार दें जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े।

21. कमजोर बकरी को क्या खिलाना चाहिए?

कमजोर बकरी को पौष्टिक आहार देना आवश्यक है जिससे उसकी सेहत में सुधार हो सके। बकरी को उच्च प्रोटीन युक्त आहार जैसे कि अल्फाल्फा हे, सोयाबीन की खली, और ताजे हरे चारे का सेवन कराएं। इसके अलावा, बकरी को विटामिन और खनिज पूरक भी दें जिससे उसकी ऊर्जा और स्वास्थ्य में सुधार हो। बकरी को नियमित रूप से पानी पिलाएं और उसे तनावमुक्त वातावरण में रखें।

22. बकरियों के पेट सूजन का कारण और इलाज

बकरियों के पेट में सूजन कई कारणों से हो सकती है जैसे कि खराब पाचन, गैस बनना, या परजीवी संक्रमण। पेट की सूजन के लक्षणों में पेट का फूलना, बेचैनी, और खाने से मना करना शामिल है। इसका इलाज करने के लिए सबसे पहले बकरी को पशु चिकित्सक को दिखाएं। बकरी को पाचन सुधारने वाली दवाएं दें और पेट की मालिश करें। बकरी को ज्यादा समय तक खड़े रहने दें और उसे धीरे-धीरे चलाएं जिससे गैस बाहर निकल सके।

बकरियो में रोग होने के अलग अलग कारण 

बकरियों में रोग होने के विभिन्न कारण होते हैं जो उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता को प्रभावित कर सकते हैं। इन कारणों को जानना और उनसे बचाव के उपाय करना बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ बकरियों में रोग होने के कुछ प्रमुख कारणों का विवरण दिया गया है।

बकरियों में होने वाले रोग

1. संक्रामक रोग (Infectious Diseases)

बकरियों में संक्रामक रोग बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, और परजीवी के कारण होते हैं। ये रोग बकरियों से सीधे संपर्क, दूषित भोजन या पानी, और संक्रमित उपकरणों के माध्यम से फैल सकते हैं। उदाहरण के लिए, खुरपका-मुंहपका (Foot-and-Mouth Disease) और पेस्टे डेस पेटिट्स (Peste des Petits Ruminants – PPR) वायरस जनित संक्रामक रोग हैं।

2. पोषण की कमी (Nutritional Deficiencies)

बकरियों को उचित पोषण न मिलने पर वे विभिन्न रोगों का शिकार हो सकती हैं। जैसे कि कैल्शियम, फॉस्फोरस, और विटामिन की कमी से हड्डियों के रोग और कमजोरी हो सकती है। उचित संतुलित आहार न मिलने से उनकी इम्यूनिटी कम हो जाती है, जिससे वे अन्य बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।

3. परजीवी संक्रमण (Parasitic Infections)

बकरियों में आंतरिक और बाहरी परजीवी संक्रमण आम होते हैं। आंतरिक परजीवी जैसे कि आंतों के कीड़े (Coccidiosis) और बाहरी परजीवी जैसे कि जूँ और पिस्सू (Lice and Mites) बकरियों की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। ये परजीवी रक्त की कमी, वजन कम होना, और इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकते हैं।

4. अस्वच्छता और खराब स्वच्छता (Poor Hygiene and Sanitation)

अस्वच्छता और खराब स्वच्छता बकरियों में रोग फैलने का एक प्रमुख कारण है। गंदे बाड़े, दूषित पानी, और अस्वच्छ भोजन से बकरियों में विभिन्न संक्रामक रोग और परजीवी संक्रमण हो सकते हैं। बाड़े की नियमित सफाई और बकरियों की स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है।

5. अनुवांशिक कारक (Genetic Factors)

कुछ रोग बकरियों में अनुवांशिक कारकों के कारण भी होते हैं। कुछ बकरियाँ आनुवंशिक रूप से कुछ रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। इस प्रकार के रोगों से बचने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली और रोग-प्रतिरोधक नस्लों का चयन करना महत्वपूर्ण है।

6. जलवायु और पर्यावरणीय कारक (Climatic and Environmental Factors)

जलवायु और पर्यावरणीय परिवर्तन भी बकरियों में रोग उत्पन्न कर सकते हैं। अत्यधिक ठंड, गर्मी, और नमी के कारण बकरियाँ तनाव में आ सकती हैं, जिससे उनकी इम्यूनिटी कम हो जाती है और वे रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, निमोनिया (Pneumonia) ठंडे और गीले मौसम में अधिक होता है।

7. आघात और चोटें (Trauma and Injuries)

बकरियों को आघात और चोटें भी रोग का कारण बन सकती हैं। खुरों में चोट या कटाव, और त्वचा पर घाव संक्रमण के प्रवेश के लिए द्वार खोल सकते हैं। इन चोटों का सही समय पर इलाज करना और बकरियों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना आवश्यक है।

8. प्रतिरक्षा तंत्र की कमजोरी (Weak Immune System)

बकरियों का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होने पर वे विभिन्न बीमारियों का शिकार हो सकती हैं। यह कमजोरी पोषण की कमी, तनाव, और पहले से मौजूद रोगों के कारण हो सकती है। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए उचित आहार, साफ-सफाई, और तनावमुक्त वातावरण प्रदान करना महत्वपूर्ण है।

9. विषाक्तता (Toxicity)

बकरियों को विषैले पौधों, रसायनों, और दूषित पानी के संपर्क में आने से विषाक्तता हो सकती है। इसके लक्षणों में उल्टी, दस्त, और तंत्रिका तंत्र के विकार शामिल हैं। विषाक्तता से बचने के लिए बकरियों को साफ और सुरक्षित भोजन और पानी प्रदान करना आवश्यक है।

10. सामान्य देखभाल की कमी (Lack of General Care) 

बकरियों की सामान्य देखभाल में कमी जैसे कि उचित टीकाकरण, नियमित स्वास्थ्य जांच, और समय पर उपचार न करना, उनके स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। बकरियों की नियमित देखभाल और टीकाकरण का पालन करना रोगों से बचाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इन कारणों को ध्यान में रखते हुए, बकरियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना और सही प्रबंधन तकनीकों का पालन करना महत्वपूर्ण है। इससे न केवल बकरियों की उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता भी सुधरेगी।

निष्कर्ष

बकरी पालन एक संतोषजनक और लाभदायक व्यवसाय हो सकता है, बशर्ते कि आप उनकी देखभाल सही तरीके से करें। मैंने अपने अनुभव से सीखा है कि बकरियों की सेहत का ध्यान रखना उनकी उत्पादकता और आपके व्यवसाय की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख के माध्यम से, मैंने अपने अनुभव और ज्ञान को आपके साथ साझा किया है ताकि आप भी अपनी बकरियों को स्वस्थ और खुश रख सकें। हमेशा याद रखें कि समय पर निदान और सही उपचार से आप कई गंभीर समस्याओं से बच सकते हैं। अगर आपके मन में कोई सवाल है या आपको और जानकारी चाहिए, तो बेझिझक मुझसे संपर्क करें। हम मिलकर आपकी बकरियों को स्वस्थ और खुशहाल बना सकते हैं।

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