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भारत में काजू उद्योग और निर्यात: bharat me kaju ka business

Bharat me kaju utpadan aur iska business

Cashew Business and Export in hindi

bharat me kaju ka business: भारत काजू उत्पादन के मामले में दुनिया के प्रमुख देशों में से एक है। काजू उद्योग का देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां यह खेतों और कारखानों में 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है। वर्तमान में, भारत में काजू की खेती लगभग 0.7 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर की जाती है, जिससे सालाना 0.8 मिलियन टन से अधिक काजू का उत्पादन होता है।

काजू उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र (Bharat me kaju utpadan ke Pramukh Jagah)

भारत में काजू की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गोवा, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के कुछ हिस्सों में होती है। महाराष्ट्र 2021-22 में 0.20 मिलियन टन के साथ सबसे बड़ा काजू उत्पादक राज्य था। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार, महाराष्ट्र का उत्पादन 2020-21 में 0.19 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 0.20 मिलियन टन हो गया।

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काजू की खेती और प्रसंस्करण (Bharat me kaju ki kheti)

काजू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताएँ होती हैं। काजू के पेड़ को गर्म और आर्द्र जलवायु पसंद है, और यह अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है। काजू का पेड़ लगभग 5-7 वर्षों में फल देने लगता है, और एक पेड़ से सालाना लगभग 20-50 किलोग्राम काजू की फसल प्राप्त की जा सकती है।

काजू प्रसंस्करण उद्योग भारत के कई हिस्सों में फैला हुआ है। पारंपरिक रूप से, काजू प्रसंस्करण के केंद्र केरल, कर्नाटक, गोवा और आंध्र प्रदेश में स्थित थे। लेकिन अब यह उद्योग पूरे देश में फैल गया है। प्रसंस्करण के दौरान, काजू को छिलके से अलग किया जाता है, सुखाया जाता है, और फिर ग्रेडिंग और पैकेजिंग के लिए तैयार किया जाता है। काजू के छिलके से निकाला गया तरल पदार्थ (सीएनएसएल) भी एक मूल्यवान उत्पाद है, जिसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में होता है।

निर्यात प्रवृत्ति (Bharat me kaju ka utpadan)

भारत न केवल काजू उत्पादन में बल्कि प्रसंस्करण और निर्यात में भी अग्रणी है। भारत का काजू प्रसंस्करण उद्योग पहले केरल, कर्नाटक, गोवा और आंध्र प्रदेश में केंद्रित था, लेकिन अब यह देश के कई अन्य राज्यों में फैल गया है। इसके अलावा, भारत दुनिया में सबसे बड़ा काजू निर्यातक भी है, जिसका विश्व निर्यात में 15% से अधिक हिस्सा है।

2021-22 के दौरान, भारत ने मूल्य के हिसाब से 452 मिलियन अमेरिकी डॉलर का काजू निर्यात किया, जो 2020-21 में 420 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। मात्रा के संदर्भ में, 2021-22 में 76.8 मिलियन किलोग्राम काजू का निर्यात हुआ, जो 2020-21 में 70.5 मिलियन किलोग्राम था। मार्च 2022 में, देश ने 40.0 मिलियन अमेरिकी डॉलर का काजू निर्यात किया, जो फरवरी 2022 में 33.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।

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भारत से काजू निर्यात का महत्व (Cashew Export From india in hindi)

भारत काजू का एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक देश है। भारतीय काजू की गुणवत्ता और स्वाद के कारण इसकी वैश्विक बाजार में बहुत मांग है। 2022 में भारत से काजू निर्यात 76,824 मीट्रिक टन (MT) था, जिसकी मूल्य $290.95 मिलियन अमेरिकी डॉलर थी। 2023 में, अप्रैल से जनवरी तक काजू निर्यात मूल्य $282.54 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.89% की कमी दर्शाता है। (India Brand Equity Foundation)

काजू निर्यात भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और किसानों के साथ-साथ कई उद्योगों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करता है।

निर्यात प्रक्रिया

  1. काजू का उत्पादन: काजू के पेड़ का फल (काजू सेब) से काजू का उत्पादन होता है। इसे फसल के बाद सुखाया और प्रोसेस किया जाता है।
  2. प्रोसेसिंग: काजू को कई चरणों में प्रोसेस किया जाता है, जिसमें सफाई, छिलाई, ग्रेडिंग और पैकेजिंग शामिल हैं।
  3. गुणवत्ता नियंत्रण: अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार काजू की गुणवत्ता की जांच की जाती है। इसके लिए विभिन्न परीक्षण और निरीक्षण किए जाते हैं।
  4. निर्यात दस्तावेजीकरण: निर्यात के लिए आवश्यक दस्तावेज जैसे निर्यात अनुज्ञा, पैकिंग सूची, वाणिज्यिक चालान आदि तैयार किए जाते हैं।
  5. शिपमेंट: काजू को कंटेनरों में पैक करके जहाज या हवाई मार्ग से निर्यात किया जाता है।

प्रमुख निर्यात बाजार (Cashew Export Market)

भारतीय काजू के प्रमुख निर्यात बाजारों में अमेरिका, यूरोप, जापान, मध्य पूर्व और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। ये देश भारतीय काजू की गुणवत्ता और स्वाद को बहुत पसंद करते हैं।

चुनौतियाँ और अवसर

  • चुनौतियाँ: उत्पादन की बढ़ती लागत, अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा, और निर्यात प्रक्रिया में पेचीदगियों के कारण चुनौतियाँ होती हैं।
  • अवसर: उन्नत कृषि तकनीकों का उपयोग, गुणवत्ता सुधार, और वैश्विक बाजार में ब्रांड पहचान बनाने से निर्यात में वृद्धि के अवसर हैं।

सरकारी समर्थन

भारत सरकार काजू निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएँ और नीतियाँ लागू करती है। इसमें वित्तीय सहायता, निर्यात प्रोत्साहन, और तकनीकी सहायता शामिल हैं।

भारत से काजू निर्यात का भविष्य उज्ज्वल है, बशर्ते कि किसान और प्रोसेसर्स गुणवत्ता पर ध्यान दें और वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग करें।

प्रमुख निर्यात गंतव्य (Bharat se kaju ka Niryat)

भारत से काजू के प्रमुख निर्यात गंतव्य यूएई, जापान, नीदरलैंड, सऊदी अरब, यूएसए, यूके, कनाडा, फ्रांस, इजरायल और इटली हैं। 2021-22 के दौरान यूएई भारतीय काजू का सबसे बड़ा आयातक था, जिसका मूल्य 131.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। मात्रा के लिहाज से, यूएई को भारत का काजू निर्यात 16.6 मिलियन किलोग्राम रहा, जो पिछले वर्ष दर्ज किए गए 12.8 मिलियन किलोग्राम निर्यात से 29% अधिक है।

जापान और नीदरलैंड भारतीय काजू के शीर्ष 3 आयातकों में शामिल हैं, जिनकी निर्यात हिस्सेदारी क्रमशः 13% और 9% है। जापान और नीदरलैंड को भारत के काजू गिरी और काजू के छिलके के तरल निर्यात का मूल्य क्रमशः 58.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 41.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।

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काजू उद्योग की चुनौतियाँ (bharat me kaju Udyog ke lie challenges)

भारतीय काजू उद्योग को कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। इनमें से एक प्रमुख चुनौती कच्चे काजू की आपूर्ति की है। भारतीय काजू उद्योग की घरेलू और निर्यात मांग का लगभग आधा हिस्सा आयातित कच्चे काजू से पूरा होता है। इसके अलावा, काजू प्रसंस्करण इकाइयों में मशीनीकरण और स्वचालन की कमी भी एक बड़ी चुनौती है।

सरकारी पहल और समर्थन (Bharat me kaju utpadan ke liye Sarkar ka S)

भारत सरकार और काजू निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसीआई) ने काजू उद्योग के विकास और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। इनमें व्यापार प्रतिनिधिमंडल, क्रेता-विक्रेता बैठकें, मेले, विकास कार्यशालाएं, और अनुसंधान एवं विकास डेटा प्रदान करना शामिल हैं। 2018 में, कच्चे काजू पर मूल सीमा शुल्क 5% से घटाकर 2.5% कर दिया गया था और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) 12% से घटाकर 5% कर दिया गया था।

सरकार ने काजू की घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)। इसके अलावा, DAC&FW ने काजू और कोको विकास निदेशालय (DCCD) द्वारा प्रस्तुत काजू की खेती के क्षेत्र को 1.20 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने के लिए रोडमैप कार्यक्रम को भी मंजूरी दी है।

काजू प्रसंस्करण इकाइयों की मशीनीकरण और स्वचालन के लिए मध्यम अवधि की रूपरेखा योजना को भी मंजूरी दी गई है, जिसका वित्तीय परिव्यय 60 करोड़ (8 मिलियन अमेरिकी डॉलर) है।

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अंतिम लक्ष्य (Bharat me kaju utpadan ka Lakshya)

भारत का लक्ष्य काजू निर्यात को बढ़ाना और वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी को और मजबूत करना है। इसके लिए, सरकार और उद्योग दोनों मिलकर काम कर रहे हैं ताकि काजू की खेती, प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।

निष्कर्ष

भारतीय काजू उद्योग का भविष्य उज्जवल दिखता है, खासकर सरकारी पहलों और वैश्विक बाजार में उच्च मांग को देखते हुए। काजू की घरेलू और निर्यात मांग को पूरा करने के लिए भारत ने कच्चे काजू के आयात और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।


उम्मीद है कि यह विस्तृत और जानकारीपूर्ण लेख आपके ब्लॉग के लिए उपयोगी होगा। यदि और किसी प्रकार की सहायता चाहिए तो कृपया बताएं।

3 thoughts on “भारत में काजू उद्योग और निर्यात: bharat me kaju ka business”

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